श्राद्ध में शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं, लेकिन उज्जैन के विष्णुपुरा का अनूठा विवाह चर्चा का विषय है। इसमें पेमल रानी गाय दुल्हन और नंदी तेजा दूल्हा बना। तेजा बरात लेकर निकला तो जनता बाराती बनी।
धार्मिक ग्रंथों में अनूठे विवाह का उल्लेख
चारधाम मंदिर स्थित शासकीय संस्कृत कॉलेज के प्रोफेसर भवानीशंकर शास्त्री ने बताया कि तेजाजी मंदिर में अनूठा विवाह हुआ। गाय-नंदी की शादी का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। श्राद्ध पक्ष में गाय और नंदी का विवाह कराने से प्रेत योनि से मुक्त होकर 10 पीढ़ी आगे और 10 पीढ़ी पीछे तक पितृों और अग्रजों को स्वर्ग मिलता है। इसी कारण विवाह का आयोजन किया।
निभाई सभी रस्में
गाय और नंदी की शादी में सभी रस्में निभाई गई। गाय, नंदी की मेहंदी रस्म के बाद तेज चढ़ाया गया। ढोल और डीजे के साथ तेजा की बारात निकाली। शुक्ला परिवार गाय के माता-पिता बने और बारात उन्हीं के घर पहुंची। बारातियों का स्वागत-सत्कार और अभिनंदन हुआ। तेजाजी मंदिर में शाम को विवाह हुआ।
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