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महाकाल की नगरी में निकली ‘राजसी’ सवारी; हेलीकॉप्टर से बरसाए गये फूल!

भगवान श्री महाकालेश्वर की इस वर्ष की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में दो सितंबर को सायं चार बजे परम्परानुसार श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी धूमधाम से निकाली गई। रजत पालकी में विराजित श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले तो सम्पूर्ण उज्जयिनी भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार से गुंजायमान हो गई। चारो दिशाओं में भगवान महाकाल की भक्ति में लीन भक्तों के नेत्र त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की एक झलक पाने के लिये अधीर हो उठे।

भगवान महाकाल ने 6 स्वरूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। रामघाट पर सवारी का पूजन किया गया। यहां हेलिकॉप्टर से सवारी पर फूल बरसाए गए। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा ये बाबा महाकाल की शाही नहीं राजसी सवारी है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे युवराज महाआर्यमन के साथ महाकाल की भक्ति में झूमे। इस दौरान सिंधिया ने झांझ और बेटे ने डमरू बजाया। उन्होंने सत्यनारायण मंदिर के पास पालकी में सवार भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया। वे सिंधिया राजवंश की 250 साल से चली आ रही परंपरा के अनुसार राजसी सवारी में हुए शामिल हुए।

रजत पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे, असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत-वन्दन किया। वहां पर पुलिस बैण्ड, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों तथा प्रदेश के विभिन्न बटालियनों के जवानों द्वारा सवारी को सलामी देकर सवारी के साथ चल रहे थे। पालकी के आगे घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की सवारी में भक्त अवंतिकानाथ का झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए गुणगान करते हुए चल रहे थे। भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी परम्परागत मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर रामघाट पर सिंधिया स्टेट के प्रतिनिधियों द्वारा परम्परा अनुसार पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर हाथी पर विराजित भगवान श्री मनमहेश का पूजन-अर्चन किया गया।