उज्जैन शहर में भी अब मानसून सक्रिय हो चुका है। गुरुवार दोपहर से शुरू हुई झमाझम बारिश का दौर देर रात तक तो जारी रहा ही। लेकिन मानसून की इस पहली बारिश ने ही नगर निगम के दावों को टॉय-टॉय फिस्स कर दिया। क्योंकि नगर निगम शहर के जिन नालों की सफाई का पिछले एक महीने से ढिंढोरा पीट रही थी। बारिश में शहर के एक-दो नहीं, बल्कि आधा दर्जन से अधिक ऐसे इलाके थे, जहां सड़कें तालाब में तब्दील हो गई थी।
चामुंडा माता चौराहे की बात की जाए तो यहां चारों ओर पानी ही पानी था और सड़क का यह गंदा पानी मंदिर के गर्भगृह तक भी पहुंच गया था। वह तो गनीमत रही की रात के समय अत्यधिक बारिश को देखकर मंदिर के पुजारी और अन्य भक्तजन मंदिर में ही थे, जिन्होंने गर्भगृह में पानी घुसते ही तत्काल इसे बाल्टी के माध्यम से बाहर निकाला, वरना यह गंदा पानी माता की प्रतिमा तक पहुंच जाता।
पहली बारिश में ही व्यवस्थाओं की खुली पोल
नगर निगम बारिश में जल जमाव की स्थिति न हो। इसके लिए एक महीने पूर्व ही शहर की नालियों और नालों की जेसीबी व अन्य साधनों से सफाई करवाई गई थी। लेकिन गुरुवार की देर रात हुई पहली बारिश ने ही इनके दावों की पोल खोल दी। स्थिति यह थी की एटलस चौराहा से केडी गेट तक चारो ओर पानी-पानी फैला हुआ था। तोपखाना के साथ ही निचली बस्तियों में शांति नगर, एकता नगर, सुदर्शन नगर, शिव धाम में भी पानी की निकासी ठीक से न होने के कारण जल जमाव की स्थिति बनी हुई थी।
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