V India News

Web News Channel

उज्जैन; शराब बंदी के बाद मांस की दुकानों पर भी लगे पाबंदी; स्वर्णिम भारत मंच ने की मांग!

उज्जैन; प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से धार्मिक नगरी उज्जैन में  मदिरा की बिक्री पर रोक लगा दी है। शराब की दुकानें हटने से जनता खुश है। लेकिन अब मांस की दुकानों को भी बंद करने की मांग उठ रही है। बता दें धार्मिक संगठन वर्षों से उज्जैन में  मांस के विक्रय पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

स्वर्णिम भारत मंच के अध्यक्ष दिनेश श्रीवास्तव का कहना है कि खुले में मांस का विक्रय के आदेश सरकार की तरफ से पहले जारी किए जा चुके हैं लेकिन इनका पालन उज्जैन में नहीं हो रहा है। उज्जैन नगर निगम क्षेत्र के धार्मिक स्थान के आसपास मांस का विक्रय हो रहा है। उज्जैन में मदिरा के विक्रय पर रोक लगा दी गई  है, लेकिन मांस की खुली ब्रिकी पर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

मांस और कत्लखानों पर भी लगे पाबंदी

स्वर्णिम भारत मंच के अध्यक्ष का कहना है कि महाकाल की नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं को जब सड़क पर मांस दिखता है तो उनकी नजरों में धार्मिक नगरी की छवि एक गंदे शहर की हो जाती है। मांस और कत्लखानों पर पाबंदी नहीं लगी तो धार्मिक नगरी का वैभव नहीं बन पाएगा। सरकार पवित्र नगरी का सीमा क्षेत्र बढ़ाए।  इस सीमा क्षेत्र को 2 किमी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

आगे उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन संत प्रतीतराम रामस्नेही ने तीन दशक पहले उज्जैन को पवित्र नगरी बनाने की मांग की थी। इसके लिए आंदोलन किया था। उनके आंदोलन के प्रभाव के कारण नगर निगम की ओर से 2004 में महाकाल क्षेत्र से 2 किमी में मांस मदिरा विक्रय पर रोक लगाने का एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था। उसके बाद मप्र सरकार ने 2005 में उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित तो कर दिया था। इसका दायरा इतना छोटा रखा गया है कि पवित्र नगरी का आशय स्पष्ट नहीं हो रहा है। इस दायरे को बढ़ाकर और मांस की दुकानों को बंद करके उज्जैन को पवित्र नगरी बनाया जा सकता है।