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हरितालिका तीज: सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में महिलाओं की लम्बी कतार; अर्धनारिश्वर स्वरूप में हुआ बाबा का श्रृंगार;

देश भर में शुक्रवार को हरितालिका तीज का त्योहार मनाया जा रहा है। मान्यता है कि हरितालिका तीज व्रत को रखने से सुहाग की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है। उज्जैन नगर के प्रसिद्ध चौरासी महादेव में से 61वें पटनी बाजार स्थित श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर पर हरितालिका तीज पर्व के अवसर पर गुरुवार रात 11 बजे पंचामृत पूजन के बाद दर्शन का क्रम शुरू हुआ जो शुक्रवार रात 12 बजे तक चलता रहा।

देर रात से महादेव मंदिर में लगी लम्बी लाइन

हरितालिका तीज पर्व के अवसर पर रात 12 बजे से ही महिलाएं और युवतियां श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में दर्शन पूजन अर्चन के लिए जुटना शुरू हो गईं थीं। दर्शन के लिए देर रात से लम्बी लाइन महादेव मंदिर में लगी हुई थी महिलाएं खास तौर पर दर्शन पूजन के बाद कथा श्रवण करने के लिए मंदिर पहुंची थी।

हरितालिका तीज पर ऐसे सजे बाबा महाकाल

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन तड़के 4 बजे मंदिर के बाबा महाकाल की भस्म आरती की जाती है। शुक्रवार तड़के भी मंदिर के कपाट खोलकर जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया।  फिर भांग, चन्दन, तिलक और चंद्र अर्पित कर भस्म चढ़ाई गई।  ड्रायफ्रूट और आभूषण से बाबा महाकाल का अर्धनारिश्वर स्वरूप में दिव्य श्रृंगार किया।

बाबा का प्रतिदिन के पर्व अनुसार श्रृंगार किया जाता है। आज हरितालिका तीज होने से बाबा का अर्धनारिश्वर स्वरूप में श्रृंगार किया। मान्यता है कि पार्वती जी ने अपने पिछले जन्म में शिव जी को पति मानकर कठोर उपासना की थी, लेकिन उनके पिता विवाह के लिए तैयार नहीं थे। इसलिए पार्वती को उनकी सहेली हर कर जंगल में ले गई थी। जहां उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर तीज के दिन शिव जी ने दर्शन दिए थे। यहां वर मांगने का कहने पर पार्वती जी ने शिव जी को पति के रुप में मांग लिया था।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर व्रत रखने की परंपरा

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरितालिका व्रत मनाने की परंपरा है। इस बार 6 सितंबर को शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र एवं शुक्ल योग की उपस्थिति में हरितालिका तीज का व्रत मनाया जा रहा है। इस योग में हरितालिका की पूजा पति को दीर्घायु व पुत्र पौत्र की वृद्धि को देने वाली मानी जाती है।

सौभाग्येश्वर महादेव पर विशेष पूजन की परंपरा

पंडित अमर डिब्बावाला ने बताया कि 27 योगों में शुक्ल योग विशेष महत्वपूर्ण है, कथा के सुनने से पति की दीर्घायु एवं परिवार में सुख शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। जिन कन्याओं का विवाह नहीं हुआ है उन्हें भी यह व्रत उत्तम वर की प्राप्ति के लिए करना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां पर परंपरा सदियों से चली आ रही है। व्रत को करने की परंपरा धर्मशास्त्र, पुराण आदि में बताई जाती है। शहर के अन्य शिव मंदिरों में भी महिलाएं इस दिन पूजन के लिए पहुंचती हैं। वहीं घरों में भी पूजन किया जाता है।