श्री महाकालेश्वर भगवान की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में शाही सवारी सोमवार 2 सितम्बर को सायं 4 बजे निकलेगी, जो शहर में सात किमी भ्रमण कर रात 10 बजे फिर मंदिर लौटेगी। सवारी में भगवान महाकाल छह स्वरूप में दर्शन देंगे। वहीं भगवान चंद्रमोलेश्वर की पालकी 15 वें क्रम पर रहेगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि भाद्रपद माह की दूसरी और अंतिम सवारी 2 सितम्बर को (प्रमुख) शाही सवारी के रूप में निकलेगी। इस दौरान रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा स्वरुप व सप्तम सवारी में श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की शाही सवारी सोमवार को सांय चार बजे सभा मंडप में पूजन अर्चन के बाद रवाना होगी। शाही सवारी का मार्ग करीब सात किलोमीटर लंबा रहेगा। बाबा महाकाल के स्वागत के लिए नगर में साज-सज्जा का काम शुरू हो गया है। सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग होने से राजाधिराज की सवारी का उत्साह दोगुना हो गया है।
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता कर रहा है। शाही सवारी के मौके पर 2 सितम्बर को मध्यप्रदेश के लालपुर, डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा लोक नर्तक दल दिनेश कुमार भार्वे के नेतृत्व में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगें। प्रशासन ने सवारी को रात 10 बजे तक मंदिर में पहुंचाने और दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ का प्रबंधन करने व सुरक्षा को लेकर पूरी तैयारी की है।
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