श्री कृष्ण जन्माष्टमी और बाबा महाकाल की सवारी के सुयोग पर बाबा महाकाल की छठी सवारी पूरे प्रोटोकॉल और धूमधाम के साथ निकली। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर राजा महाकाल प्रजा को दर्शन देने निकले तो लोगों ने हाथ जोड़कर भगवान महाकाल और श्री कृष्ण के जयकारे लगाकर सवारी का अभिनंदन किया।
महाकालेश्वर भगवान की छठी सवारी चार बजे मंदिर से निकली। भगवान की सवारी निकलने के पूर्व सभा मंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजा की गई। सर्वप्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर का षोड़शोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। श्री महाकालेश्वर भगवान षष्ठम सवारी में पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं रथ पर श्री घटाटोप विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई। बाबा महाकाल की सवारी में बैतूल जिले के गोंड जनजातीय द्वारा ठात्या नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी गईं।
भगवान महाकाल की सवारी का गोपाल मंदिर में पूजन हुआ। इस दौरान हरी और हर का मिलन भी देखने को मिला। सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होती हुई रामघाट पहुंची। जहां पर मोक्षदायिनी माँ शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया।
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