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उज्जैन; सावन के चौथे सोमवार को बाबा महाकाल के दरबार में लगा भक्तों का तांता; निकली चौथी सवारी!

उज्जैन: सावन के चौथे सोमवार को बाबा महाकाल फिर प्रजा का हाल जानने निकले। मान्यता है कि वर्षा काल में सृष्टि का संचालन करने वाले सभी देवता शयन को चले जाते हैं, जबकि बाबा महाकाल सृष्टि का संचालन करते हैं। ऐसे में सावन मास में महाकाल प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। 12 अगस्त को भगवान महाकाल की चौथी सवारी निकाली गई।

इससे पहले आज महाकालेश्वर मंदिर में सावन के चौथे सोमवार पर तड़के 2.30 बजे पट खोल दिए गए। यहां दर्शन के लिए रात से ही श्रद्धालु लाइन में खड़े नजर आए। सबसे पहले बाब महाकाल का जलाभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से तैयार पंचामृत से बाबा का अभिषेक और पूजन किया गया।

अभिषेक के बाद बाबा महाकाल के मस्तक पर चंद्रमा अर्पित कर उनका राजा स्वरूप में अद्भुत श्रृंगार किया गया। फिर महाकाल को भस्म चढ़ाई गई। यही वो समय होता है, जिसका श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार होता है। बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन हर कोई करना चाहता है। खुशी की बात ये है कि इस बार सावन के महीने में हर श्रद्धालु को भस्म आरती के दर्शन कराए जा रहे हैं। सावन के चौथे सोमवार पर अल सुबह भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

दूर-दूर से आए भक्त कर रहे दर्शन

सावन माह में बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं, इसी को देखते हुए प्रशासन ने अलग तरह की व्यवस्था ही की हुई है। दर्शनार्थियों को किसी तरह की कोई भी दिक्कत का सामना ना करना पड़े, इसको लेकर भी मंदिर प्रबंधन अलर्ट नजर आ रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो भगवान शिव के भक्तों में सावन माह को लेकर अलग उत्साह नजर आ रहा है।

भगवान महाकाल की चौथी सवारी

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सावन मास में सोमवार को भगवान महाकाल की चौथी सवारी निकली। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिव तांडव और नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे शाही ठाठ बाट के साथ की शुरुआत हुई। सवारी में सीधी के कलाकार घसिया बाजा नृत्य की प्रस्तुति देते निकले।