आप अगर विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की भस्म आरती देखने आए हो तो आपको पता होगा कि जब बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की जाती थी उस समय एक आवाज सुनाई देती थी कि भस्मी चढ़ने वाली है, महिलाएं घूंघट कर लें। कुछ मिनट बाद ही फिर घूंघट हटाने की आवाज आती थी। जो सेवादार ये आवाज लगाते थे, अब वे नहीं रहे। महाकाल में घटी आग की घटना में झुलसने के कारण मंगलवार देर रात उनका निधन हो गया।
बता दें कि अवंतिपुरा में नई गली क्षेत्र में रहने वाले 80 वर्षीय सत्यनारायण सोनी महाकाल मंदिर के गर्भगृह में होली के दिन हुए हादसे में गंभीर रूप से झुलस गए थे। इनका उपचार पहले इंदौर के अरविंदो अस्पताल में जारी था, लेकिन उनके स्वास्थ्य में सुधार होता दिखाई न देने पर अच्छे उपचार के लिए सोनी को एयर एंबुलेंस से मुंबई के हॉस्पिटल ले जाया गया था। जहां आग से जलने वालों का बेहतर उपचार किया जाता है, लेकिन यहां उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। आज सुबह सोनी की पार्थिव देह भी एयर एंबुलेंस से ही उज्जैन लाई गई थी।
बाबा महाकाल के ऐसे सेवक, 50 वर्षों से हो रहे थे भस्म आरती में शामिल
बताया जाता है कि सत्यनारायण सोनी बाबा महाकाल के सच्चे सेवक थे, जो कि भस्म आरती में सफाई करना हो, पूजन सामग्री एकत्रित करना हो, थाली सजाना हो या अन्य कोई भी काम हमेशा हर कार्य करने के लिए तैयार रहते थे। महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा महाकाल की पूजा करने के लिए भले ही कोई भी पुजारी मंदिर में आते हों लेकिन उनके सहयोगी के रूप मे सत्यनारायण सोनी सेवा देने के लिए जरूर मौजूद रहते थे। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित राम गुरु ने बताया कि लगभग 50 वर्षों से महाकाल भक्त सत्यनारायण सोनी भस्म आरती में अपनी सेवाएं दे रहे थे पुजारी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ उन्होंने बाबा महाकाल की सेवा की। पुजारी परिवार और मंदिर प्रबंध समिति ने उन्हें बचाने के काफी प्रयास किया, लेकिन भगवान महाकाल ने उन्हें अपने चरणों में बुला लिया।
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