उज्जैन के उजड़खेड़ा हनुमान मंदिर समीप एक खास धार्मिक आयोजन हुआ। जहां पर कार्तिक स्वामी भगवान की पूजा की गई एवं हवन यज्ञ किया गया। आयोजन में केरल राज्य और सिंगापुर देश से आए 600 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
सनातन धर्म के प्रचार हेतु भारत पुनः विश्व गुरु बने तथा आध्यात्मिक, भौतिक उन्नति देश के विकास के लिए हुए यज्ञ में संतों का सम्मान एवं महाप्रसादी का आयोजन भी हुआ।
सिंहस्थ क्षेत्र में हुए इस संत समागम से सिंहस्थ की यादें ताजा हो गई, दक्षिण भारतीय विद्वानों की वाणी में पूरा क्षेत्र धर्म गुंज से गुंजायमान हो उठा।
इसीलिए उज्जैन में किया गया यह यज्ञ
यज्ञ करने आए लोगों से जब पूछा गया कि यज्ञ के लिए महाकाल की नगरी को ही क्यों चुना गया, तो केरल के श्रद्धालु ने कहा कि हम अब तक ग्रीनविच समय को फॉलो करते आये हैं। लेकिन, उज्जैन विश्व की एकमात्र नगरी है, जहां शून्य से शुरुआत होती है। कालगणना की नगरी उज्जैन है। ये विक्रमादित्य की नगरी है, यहां कालों के काल बाबा महाकाल विराजमान है। यहां किसी भी कार्य को करने से 10 गुना फल मिलता है और हमें उम्मीद है कि इस यज्ञ से पूरे देश में हमारे उद्देश्य अनुसार परिणाम जल्द सामने आएंगे।
महाकाल की नगरी में खास पालिनी कार्तिकेय महायज्ञम, जिसे करने मिलता है 10 गुना फल
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