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उज्जैन महाकालेश्वर में अनोखी घटना, शिवलिंग से गिरा मुखौटा! क्या आने वाली है विपदा?

बाबा महाकाल के दरबार में 18 अगस्त 2025 को आरती के पहले बाबा महाकाल के भांग शृंगार के गिरने की घटना इन दिनों काफी सुर्खियों में बनी हुई है। दरअसल मंदिर में बीते 18 अगस्त 2025 (सोमवार) रात 8 बजे बाबा महाकाल के शिवलिंग पर जब पुजारी भांग से शृंगार कर रहे थे, तभी अचानक मुखौटा टूटकर गिर गया। इसके बाद पुजारियों ने तुरंत दोबारा शृंगार किया और आरती संपन्न की।

इस शृंगार के टूटकर नीचे गिरने पर जहां ज्योतिषाचार्य इसे अप्राकृतिक घटना का संकेत बता रहे हैं तो धर्म के ज्ञाता भांग को खुद महाकाल द्वारा त्यागने की बात कह रहे हैं। ज्योतिषाचार्य और धर्म के ज्ञाता का इस पूरे विषय में अपना-अपना तर्क है, लेकिन इस घटना ने एक नया बखेड़ा शुरू कर दिया है।

विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में 18 अगस्त 2025 सोमवार को रात्रि 8 बजे बाबा महाकाल के शिवलिंग से अचानक शृंगार गिर गया था। शिवलिंग पर पुजारी भांग से मुखौटा बना रहे थे। इस दौरान शृंगार गिरने से पंडे-पुजारी ने तत्काल फिर से मुखौटा बनाया और आरती की। यह पूरी घटना मंदिर में लगे सीसीटीवी में कैद हुई। जो कि वायरल हो गई। इस घटना के बाद महाकाल मंदिर प्रबंध समिति और मंदिर के पंडे-पुजारियों पर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं। घटना को लेकर ज्योतिषाचार्य और धर्म के ज्ञाता भी अपना अलग-अलग मत दे रहे हैं।

यह है नियम…

नियमों की बात करें तो वर्ष 2020 में महाकाल शिवलिंग क्षरण रोकने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर समिति को निर्देश दिए थे कि शिवलिंग पर तय मात्रा में पंचामृत चढ़ाया जाए। इसके अलावा भांग व अन्य सामग्रियों के लिए भी निर्देशित किया था। बावजूद इसके वर्तमान समय में निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है। शिवलिंग पर तय मात्रा से अधिक भांग लगाई जा रही है यही कारण है कि मुखौटा टूटकर गिर गया।

यह कहते हैं ज्योतिषाचार्य

ज्योतिषाचार्य अमर त्रिवेदी का कहना है कि यह एक अप्राकृतिक घटना का संकेत है। इस घटना के पीछे दो अलग-अलग मत है। देवता जिस भी सामग्री को पसंद करते हैं उसे वह स्वीकार करते हैं और यदि किसी सामग्री में त्रुटि या श्रद्धा ना हो या अच्छी मानसिकता से ना बनाई गई हो या उसमें धर्म का प्रभाव ना हो तो वे सामग्री को त्याग देते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैज्ञानिकता की बात करें तो पत्थरों की अपनी आर्द्रता होती है। पत्थरों में आंतरिक आर्द्रता और आंतरिक उष्णता रहती है। जब बाहरी आर्द्रता व उष्णता वाली भांग पत्थर पर लगाई जाती है तो कभी कभी उसके गिरने की संभावना बनती है। यह एक प्रकार से ऋतु परिवर्तन के संकेत है। भविष्य में बाढ़ व जल की स्थिति दिखेगी और आप्राकृतिक घटना के भी संकेत हैं।

यह बोले धर्म के ज्ञाता

धर्म के ज्ञाता, महर्षि पाणिनि वेद विद्या संस्थान के पूर्व कुलपति और पूर्व संभागायुक्त डॉ. मोहन गुप्त ने इस घटना को लेकर कहा कि हिंदू धर्म में शिवलिंग पर भांग के शृंगार का किसी भी शास्त्र में कोई उल्लेख नहीं मिलता है। शुरू से इस बात का विरोध हुआ है। महाकाल के शिवलिंग पर भांग का शृंगार नहीं किया जाना चाहिए। शिव पुराण और लिंग पुराण में भी कहीं उल्लेख नहीं है। ऐसी कोई भी परंपरा नहीं रही है। भांग के शृंगार से शिवलिंग का क्षरण होता है। कई घंटे तक भांग का शिवलिंग पर लगे रहना क्षरण पैदा करता है।

शास्त्र का आधार पंडित पुजारी नहीं मान रहे हैं। अब शृंगार अपने आप गिर गया है। यह संकेत है कि खुद महाकाल इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। भांग का शृंगार उचित नहीं है इसे बंद किया जाना चाहिए। अब प्रशासन और पंडित पुजारी को सोचना चाहिए। यह उचित नहीं है। इस घटना को लेकर महाकाल मंदिर के पंडे पुजारी और मंदिर समिति के जिम्मेदार कुछ भी कहने से बचते नजर आए।