उज्जैन; भगवान श्री महाकालेश्वर की भाद्रपद माह की अंतिम और राजसी सवारी सोमवार को पूरे वैभव, परंपरा और श्रद्धा के साथ निकाली गई। रजत पालकी में विराजमान होकर भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर जब नगर भ्रमण पर निकले तो संपूर्ण उज्जैन नगरी “जय महाकाल” के उद्घोष से गूंज उठी। हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को आतुर दिखे और सड़कों पर भक्तिभाव उमड़ पड़ा।
राजसी सवारी के दौरान भगवान महाकाल ने छह स्वरूपों में दर्शन दिए। रजत पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट मुखारविंद और सप्तधान मुखारविंद स्वरूप में भक्तों ने भगवान के दर्शन किए।
मुख्यमंत्री ने की पूजा, बजाया डमरु और झांझ
सवारी शुरू होने से पहले मंदिर के सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन मुख्य पुजारियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी विधिवत पूजा कर आरती में हिस्सा लिया। सवारी मार्ग में वे भक्तों के साथ शामिल हुए और डमरु व झांझ बजाकर भक्ति में रंग घोल दिया।
हेलिकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा
मुख्यमंत्री की मंशानुरूप इस वर्ष भी भगवान की सवारी पर हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। लगभग 500 किलो गुलाब की पंखुड़ियों से रजत पालकी और श्रद्धालुओं पर पुष्प अर्पित किए गए। पालकी के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर पुलिस बल ने भगवान महाकाल की पालकी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
भक्ति और संस्कृति का संगम
सवारी में 70 से अधिक भजन मंडलियां, साधु-संत, विभिन्न बैंड दल और श्रद्धालु शामिल हुए। भजन मंडलियों ने सवारी मार्ग में भक्ति गीत गाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। वहीं, जनजातीय एवं लोक नृत्य कलाकारों के दलों ने भी नृत्य प्रस्तुत कर सांस्कृतिक रंग बिखेरा। इनमें अनूपपुर का गुदुमबाजा नृत्य, हरदा का डंडा नृत्य, बालाघाट का बैगा करमा नृत्य और ओडिशा का श्रृंगारी लोक नृत्य शामिल रहा। परंपरानुसार भगवान महाकाल की सवारी रामघाट पहुंची, जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का जलाभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और हर ओर “जय श्री महाकाल” के जयकारे गूंजते रहे।
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