दमोह जिला अस्पताल में डिलीवरी के बाद नवजात शिशु की अदला-बदली का मामला सामने आया है। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए एसपी को आवेदन देकर बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है। सीएमएचओ ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार, जबेरा ब्लॉक के ग्राम घाघरी निवासी धर्मेंद्र लोधी ने 18 जुलाई को अपनी पत्नी गंगा लोधी को डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। सामान्य प्रसव संभव नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने सीजर ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद नवजात को लेकर विवाद शुरू हुआ।
पीड़ित धर्मेंद्र लोधी ने बताया कि उसकी पत्नी का ऑपरेशन हुआ था, लेकिन उसे यह नहीं बताया गया कि बेटा हुआ है या बेटी। नर्स ने नवजात को केवल दूर से दिखाया और फिर मशीन में रख दिया। रात करीब 11 बजे जब नवजात सौंपा गया तो वह एक दिव्यांग बच्ची थी। धर्मेंद्र ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन थिएटर में एक अन्य महिला भी मौजूद थी, जो अस्पताल की कर्मचारी नहीं थी। उन्हें संदेह है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते बच्चा बदला गया है। पीड़ित दंपति ने भगवती कल्याण मानव संगठन के साथ मिलकर सिविल सर्जन, सीएमएचओ और एसपी से मामले की शिकायत की है।
सीएमएचओ डॉ. राजेश आठ्या ने बताया कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। यदि जांच में कुछ स्पष्ट नहीं होता तो डीएनए टेस्ट कराया जाएगा ताकि सच्चाई सामने आ सके सीएमएचओ ने यह भी बताया कि बच्चे के जन्म के समय एक पहचान टैग लगाया जाता है। यदि नर्स ने टैग लगाने में देरी की हो तो इस तरह की घटनाएं संभव हैं। उन्होंने कहा कि उन अन्य महिलाओं से भी बात की जाएगी, जिनके यहां उसी समय शिशु का जन्म हुआ था। अस्पताल में सीसीटीवी नहीं लगे हैं, इसलिए जांच में थोड़ी कठिनाई हो सकती है।
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