सावन के पहले सोमवार पर उज्जैन में भगवान महाकाल नई पालकी में प्रजा का हाल जानने निकले। ये पहली सवारी वैदिक उद्घोष की थीम पर निकाली गई। सवारी शिप्रा नदी के घाट तक पहुंची। यहां महाकाल का पूजन किया गया। इसके बाद सवारी वापस मंदिर लौटी।
सवारी में अलग-अलग जिलों से आई भजन मंडलियां शामिल हुईं। इससे पहले तड़के 2:30 बजे महाकालेश्वर मंदिर के कपाट खोले गए थे। कपाट रात 10 बजे शयन आरती तक खुले रहेंगे। रात 8 बजे तक 2 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे।
भूत-प्रेत और देवताओं की टोली
बाबा महाकाल की सवारी में भूत-प्रेत और देवताओं की टोली भी नजर आई। बाबा महाकाल की सवारी में भक्त विभिन्न रूप में शामिल होते हैं। एक भक्त ने हनुमान जी का स्वरूप लिया तो किसी ने भूत प्रेत बनकर इस सवारी की शोभा बढ़ाई।
मंत्रियों ने किया पूजा अर्चन
बाबा महाकाल की सवारी महाकाल मंदिर से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची। यहां मंत्री तुलसी सिलावट, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल द्वारा पालकी में सवार बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप का पूजन अर्चन और आरती की गई।
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