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उज्जैन; यूनाइटेड कॉन्शसनेस ग्लोबल कॉन्क्लेव में शामिल हुए सीएम यादव, भारतीय संस्कृति पर रखी अपनी बात!

कालिदास अकादमी उज्जैन में यूनाइटेड कॉन्शसनेस कॉनक्लेव- 2025 आयोजित किया है। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी शिरकत की। इस मौके सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि बाबा श्री महाकाल की नगरी, भारत एवं विश्व का एक प्रमुख आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र उज्जैन, यूनाइटेड कॉन्शसनेस ग्लोबल कॉन्क्लेव-2025 आयोजन की मेजबानी कर रहा है। यह भूमि वेदों, पुराणों और योग परंपरा से समृद्ध रही है, और आज हम सभी यहां इसी परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने हेतु एकत्रित हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि “यह दौर युद्ध का नहीं, शांति का है”। उनका यह विचार आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता को इंगित करता है। यूनाइटेड कॉन्शसनेस ग्लोबल कॉन्क्लेव एकात्म चेतना के माध्यम से शांति की संस्कृति की स्थापना होगी। इस मंच पर 21 से अधिक देशों के विद्वान, संत, मनीषी, आध्यात्मिक शिक्षक, कोच और विचारक एकत्रित हुए हैं, जो इस विषय पर अपने विचार साझा कर रहे है।

यूनाइटेड कॉन्शसनेस ग्लोबल कॉन्क्लेव 2025 इसी उद्देश्य को साकार करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कॉन्क्लेव के दौरान कहा कि बाबा श्री महाकाल की नगरी, जो भारत और विश्व का एक प्रमुख आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है, इस महत्वपूर्ण आयोजन की मेजबानी कर रही है। यह भूमि वेदों, पुराणों और योग परंपरा से समृद्ध रही है, और हम सभी इसी परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने हेतु एकत्रित हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कथन कि “यह दौर युद्ध का नहीं, शांति का है,” आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता को इंगित करता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्तमान समय शायद सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण रहा है, जहाँ युद्ध, गृहयुद्ध, आतंकवाद और आपसी वैमनस्यता ने विश्व को तनावग्रस्त बना दिया है। हमें विचार करना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसी दुनिया सौंप रहे हैं—एक विभाजित, हिंसा-ग्रस्त समाज या शांति, समरसता और आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण संसार। सनातनी मूल्यों से प्रेरित यूनाइटेड कॉन्शसनेस ग्लोबल कॉन्क्लेव जैसी पहलें संपूर्ण मानवता के कल्याण एवं विश्व शांति के लिए एक प्रभावी मंच सिद्ध हो सकती हैं।

यह कॉन्क्लेव एकात्मक चेतना के माध्यम से शांति की संस्कृति की स्थापना करेगा। इस मंच पर 21 से अधिक देशों के विद्वान, संत, मनीषी, आध्यात्मिक शिक्षक, लाइफ कोच और विचारक एकत्रित हुए हैं, जो इस विषय पर अपने विचार साझा करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि पंचमहाभूत से हमारा शरीर बना है। हमारी वसुधा में पांच तत्व समाहित हैं, जो हमारे शरीर में भी विद्यमान हैं।

जीवन की उत्पत्ति जल में हुई थी, और इसी कारण सभी जीवों में जल के प्रति एक स्वाभाविक आकर्षण होता है। जल हमें सुकून प्रदान करता है, स्नान से मानसिक शांति मिलती है और शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। हमारे जल स्रोत जैसे समुद्र, नदियां और तालाब हमें प्राचीन काल से ही आकर्षित करते आए हैं। इस कार्यक्रम में विभिन्न जल स्रोतों से जल प्राप्त कर उसे एकत्रित किया गया, जिससे जलाभिषेक संपन्न हुआ।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन नगर की इस पवित्र भूमि पर एकात्मक चिंतन के इस शिविर में 21 से अधिक देशों के प्रतिनिधि सनातन परंपरा पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। यह आयोजन केवल संवाद या चर्चा का मंच नहीं है, बल्कि गहन विमर्श का केंद्र बनेगा, जिससे न केवल ज्ञान का विस्तार होगा, बल्कि मानवता के कल्याण के लिए ठोस मार्ग भी प्रशस्त होगा।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्वलित कर की। इस अवसर पर उन्होंने लेखिका श्वेता तोमर की पुस्तक “वैदिक पेरेंटिंग” का विमोचन किया। यह पुस्तक भारतीय सनातन दर्शन के आधार पर पेरेंटिंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। कार्यक्रम में 5 महाद्वीपों एवं 21 से अधिक देशों की नदियों के जल को एक बड़े पात्र में एकत्र कर मुख्यमंत्री को जलाभिषेक के लिए प्रदान किया गया। साथ ही, विभिन्न देशों से लाई गई मिट्टी से पृथ्वी माता का मॉडल भी बनाया गया।

इस भव्य आयोजन में जिले के प्रभारी मंत्री एवं कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव एवं 21 से अधिक देशों से पधारे प्रतिनिधि उपस्थित रहे।