क्रिश्चियन समाज के सबसे बड़े पर्व क्रिसमस का जश्न 24 दिसंबर की रात 12 बजे मनाया गया। यीशु जन्म के पहले 11:30 बजे से चर्च के सभागृह में धर्म गुरूओं द्वारा विशेष प्रार्थना की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोग भी शामिल थे। करीब आधे घंटे चली प्रार्थना के बाद रात 12 बजे प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव मनाया गया। प्रभु के जन्म की खुशी में केक काटकर बधाई दी गई। समाज जनों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी।
क्रिसमस पर्व को लेकर क्रिश्चियन समाज द्वारा पिछले एक सप्ताह से तैयारियां की जा रही थी। समाजजनों ने 22 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्म उत्सव का संदेश देने के लिए जुलूस भी निकाला था, वहीं ईसाई धर्म से जुड़े अनुयायियों के घर पहुंचकर केरोल्स गीत गाए जा रहे थे।
मुख्य उत्सव के लिए मंगलवार रात करीब 10 बजे से ही समाज के महिला, पुरूष और बच्चे एकत्रित होने लगे थे। धर्म गुरूओं द्वारा रात 11.30 बजे विशेष प्रार्थना शुरू की गई। उसके बाद चर्च परिसर में ही जुलूस निकालकर प्रभु यीशु की जन्म स्मरण की विधि को दोहराया गया। धर्माध्यक्ष सेबास्टियन वडेक्कल ने चर्च परिसर में गोद में बच्चे की प्रतिमा लेकर पवित्र अग्रि के चक्कर लगाए। धर्माध्यक्ष ने प्रभु यीशु का संदेश देते कहा कि प्रभु ईसा का जन्म मानव जाति के उद्धार के लिए हुआ था। उनके जन्म का संदेश प्रेम था। जहां प्रेम है, वहां भाईचारा है, शांति है, सुख है और समृद्धि है।
चर्च परिसर में सजी झांकियां
मारिया नगर कैथोलिक चर्च परिसर में प्रभु यीशु के जन्म समय की झांकी देखने और सेल्फी लेने के लिए युवक-युवतियों में होड़ लगी रही। परिसर में घास-फूस से बनी झोपड़ी को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। साथ ही गड़रियों, मंजूषियों और माता मरियम की गोद में बैठे प्रभु की सुंदर छवि को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। वहीं चर्च भवन रंगीन रोशनी से नहाया हुआ था।
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