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उज्जैन; मंदिरों में फिर उठी ड्रेस कोड की मांग; पुजारी बोले-वृंदावन की तरह ही उज्जैन के मंदिरों में भी हों ड्रेस कोड!

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहनकर आने पर मंदिर में लगाए गए पोस्टरों का उज्जैन में भी समर्थन किया गया है। पुजारियों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए यह मांग की है कि उज्जैन के धार्मिक स्थलों में भी इसी नियम का पालन करवाया जाना चाहिए क्योंकि मंदिरों में भगवान के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु कटी फटी जींस, हाफ पैंट, बरमुंडा, स्कर्ट, नाइट सूट पहनकर भगवान के दर्शन करने चले आते हैं।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का हम स्वागत करते हैं। प्राचीन समय से ही मंदिरों में ड्रेस कोड चला आ रहा है, जिसका पालन पूर्व में मंदिर के पुजारी व अन्य सेवकों द्वारा करवाया जाता था लेकिन जब से मंदिरों का सरकारी कारण हुआ है तभी से ड्रेस कोड पूरी तरह समाप्त हो गया है। इसका मुख्य कारण यही है कि जब भी कोई पुजारी या सेवक किसी को ड्रेस कोड का पालन करने को कहता था तो उनकी शिकायत कर दी जाती थी और कभी-कभी उन्हें सेवा से बर्खास्त भी कर दिया जाता था। इसीलिए पुजारी हो या सेवक सभी ने इस प्रकार से रोक-टोक करना बंद कर दिया। यही कारण है कि अब मंदिरों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु मर्यादित कपड़े पहनकर नहीं आते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में भी दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू होना चाहिए और श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति को इसका पालन भी करवाना चाहिए। हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सनातनी लोग भी मर्यादा के अनुसार ही कपड़े पहनकर मंदिर में आएं।

बता दें मथुरा के बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं से कहा गया है कि मिनी स्कर्ट और कटे-फटे जींस पहनकर न आएं। मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से मंदिर में मर्यादित कपड़े पहनकर आने का आग्रह किया है। इसके लिए श्रद्धालुओं के प्रवेश वाले रास्तों पर बैनर लगाए गए हैं। इन पर लिखा है- सभी महिलाएं और पुरुष मंदिर में मर्यादित कपड़े पहनकर आएं। छोटे कपड़े, हॉफ पैंट, बरमूड़ा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस पहनकर न आएं। मंदिर में साड़ी, सूट, पैंट-शर्ट जैसे मर्यादित कपड़े पहनकर ही आएं। बुधवार को बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की नजर गेट नंबर-3 की तरफ जाने वाले रास्ते पर लगे एक बैनर पर गई। मंदिर प्रबंधन के इस बैनर पर लिखा है- यह धार्मिक स्थल है, पर्यटन स्थल नहीं। मंदिर प्रबंधन ने चमड़े की बेल्ट भी न पहनकर आने की अपील की गई है।