भोपाल: ट्रेन दुर्घटना में अत्यंत गंभीर रूप से घायल दो बाघ शावकों को मिड घाट रेलवे लाइन बुधनी से रेस्क्यू कर भोपाल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया था। इन दोनों बाघ शावकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा सतत उपचार किया जा रहा था। अत्यंत घायल दूसरे बाघ शावक की भी मृत्यु हो गई। एक दिन के अंतराल में दोनों बाघ शावकों की मौत हो गई।
बता दें 16 जुलाई को बुधनी-मिडघाट रेलवे सेक्शन में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी जब तीन मासूम बाघ शावक ट्रेन की चपेट में आ गए। एक शावक की तुरंत मौत हो गई, जबकि दो अन्य शावक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करते हुए गंभीर हालत में पाए गए। उनकी हालत ने सभी वन्यजीव प्रेमियों के दिलों को झकझोर दिया।
जीवित बचे दो शावकों को तुरंत वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, जहां उनकी आपातकालीन देखभाल शुरू की गई। सहायक निदेशक सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘हमने अपनी पूरी कोशिश की उन्हें बचाने की, उनकी आंखों में जो दर्द था, उसे देखना हमारे लिए असहनीय था।’ वन्यजीव पशु चिकित्सकों की टीम ने 17 जुलाई को शावकों का व्यापक स्वास्थ्य परीक्षण और एक्स-रे किया, लेकिन उनके बचने की उम्मीद कम ही थी।
शावकों को कई गंभीर चोटें आई थीं, जिनमें रीढ़ की हड्डी और पेल्विक कमरबंद के फ्रैक्चर शामिल थे। इन चोटों ने उनके निचले अंगों को लकवाग्रस्त कर दिया, जिससे वे गतिहीन हो गए थे। ममता भरे इलाज और देखभाल के बावजूद, उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया था, मानो वे इस दुनिया से विदा लेने की तैयारी कर रहे हों।
अत्यधिक प्रयास और कड़ी निगरानी के बावजूद, दोनों शावकों की हालत में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हो सका। सोमवार को पहले शावक की मौत हो गई, और बुधवार को दूसरे शावक ने भी अपनी आखिरी सांस ली। वन विहार के वन्यजीव पशुचिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा, ‘हमने हर संभव प्रयास किया, लेकिन प्रकृति के इस क्रूर खेल में हम हार गए।’
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