पितृ पक्ष और श्राद्ध हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं हैं। पितृ पक्ष, श्राद्ध का एक विशेष समय अवधि है, जो प्रत्येक वर्ष श्राद्ध पक्ष में आती है। यह अवधि आमतौर पर पितृ पक्ष में 15 दिनों तक चलती है, जो भाद्रपद माह के पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक होती है।
श्राद्ध का उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करना होता है। इस समय में परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं। पितृ पक्ष के दौरान विशेष पूजा, हवन, और पिंडदान किए जाते हैं। यह समय उन आत्माओं को शांति प्रदान करने के लिए होता है, जिनका पुनर्जन्म या मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ है।
हिंदू शास्त्रों में पितृ पक्ष और श्राद्ध को अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए माना गया है क्योंकि यह पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का तरीका है। यह मान्यता है कि पूर्वजों की आत्मा को शांत और सुखी करने से परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। यह भी विश्वास है कि सही तरीके से श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन की कठिनाइयों को पार करने में मदद करता है।
ज्यो. पं चंदन श्यामनारायण व्यास के अनुसार श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध होता है। हमारे सनातन धर्म में अपने पूर्वजों की आत्म शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध पर्व अर्थात पितृपक्ष का समय अत्यंत विशेष माना गया है।
ज्यो. पं चंदन श्यामनारायण व्यास के अनुसार पितृ पक्ष 2024 शास्त्र सम्मत श्राद्ध तिथि निर्णय में पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर, प्रतिपदा श्राद्ध 18 सितंबर, द्वितीया श्राद्ध 19 सितंबर, तृतीया श्राद्ध 20 सितंबर, चतुर्थी श्राद्ध 21 सितंबर, पंचमी का श्राद्ध 22 सितंबर, षष्टी का श्राद्ध 23 सितंबर, सप्तमी का श्राद्ध 23 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध 24 सितंबर, नवमी श्राद्ध 25 सितंबर, दशमी का श्राद्ध 26 सितंबर, एकादशी का श्राद्ध 27 सितंबर, 28 सितंबर को कोई श्राद्ध नही रहेगा। द्वादशी (सन्यासियों) का श्राद्ध 29 सितंबर, त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितम्बर, चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर, सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को होगा। इस पितृ पक्ष में भरणी नक्षत्र का श्राद्ध 21 सितंबर को और मघा श्राद्ध 29 सितम्बर को रहेगा। यह विशेष श्राद्ध कहे गए हैं इन नक्षत्रों में तर्पण और श्राद्ध का अधिक फल प्राप्त होता है। इसके अलावा अपनी अपनी कुल परंपरा और रीति अनुसार श्राद्ध करना चाहिए।
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