मध्य प्रदेश के जंगलों को आकार देने वाले मशहूर वन अधिकारी और जानकार, जगत ज्योति दत्ता जी का शनिवार को देहांत हो गया। वे 98 साल के थे। 1950 बैच के IFS अफसर दत्ता ने एमपी में संरक्षित वन क्षेत्रों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मध्य प्रदेश के पहले वन्यजीव वार्डन के रूप में उन्होंने राज्य की समृद्ध वन्यजीव विरासत की नींव रखी थी। संरक्षण के प्रति उनके दूरदर्शी नेतृत्व और अटूट प्रतिबद्धता ने एक अमिट छाप छोड़ी है।
उनके निधन के बाद प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दत्ता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भारतीय वानिकी का स्तंभ बताया है। बता दें कि दत्ता ने अपने जीवन काल में एमपी के वनों और वन्यजीवों को महत्वपूर्ण योगदान दिया था। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य और देश में वन्यजीवों के संरक्षण में उनके असाधारण योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था।
दत्ता जी को समर्पित और प्रशिक्षित कार्यबल के साथ एक मजबूत वन्यजीव विंग बनाने के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही उन्हे राज्य के विभिन्न जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में समृद्ध और विविध संरक्षित क्षेत्रों का नेटवर्क बनाने के उनके दृष्टिकोण और दृढ़ता के लिए जाना जाता है। जबलपुर में राज्य वन अनुसंधान संस्थान की स्थापना के पीछे भी उनकी वैज्ञानिक सोच थी। इन सबके लिए उनका योगदान अद्वितीय है।
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